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Prem Bajaj

Abstract

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Prem Bajaj

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साठ पार

साठ पार

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साठ पार अर्थात सीनियर सिटीजन कहलाना कुछ-कुछ अटपटा लगता इन्हें, 

ऊपर से मुस्कुरा देती मगर दिल में जलती है ये साठ पार की औरतें,


खुद को बना-सजा कर रखना पसंद करती ये साठ पार की औरतें,

कोई जो अपने से छोटी उम्र का हैलो कर दे , तो मुझ पर फिदा हैं वो ये समझने लगती हैं ये साठ पार की औरतें,


नाती-पोते जब कहते दादी-नानी तो कुर्बान हो जाती ,

 मगर कोई ग़ैर आंटी भी कहता तो नाक-भौंह सिकोड़ती ये साठ पार की औरतें,


छोड़कर सलवार सूट और साड़ी , अब फैशन है जींस का ,

ये कह कर जींस पहनना चाहती ये साठ पार की औरतें,

कोई कहे चंद लफ्ज़ तारीफ में हमारी , यही इच्छा रखती साठ पार की औरतें, 


नई टेक्नोलॉजी भले ही न आती हो उन्हें, मगर फिर भी कोशिश करती रहती ये साठ पार की औरतें।

अक्सर घर के कामों से नदारद रहकर , बहाना मंदिर का बनाकर 

मोबाइल भी चलाने को तो साथ ले जाती ये साठ पार की औरतें,



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