सब्र थोड़ा सा कर लो ।
सब्र थोड़ा सा कर लो ।
प्यार हमारा अधूरा ही सही दिल में आस अभी भी है बाकी,
अपना हर वादा वो पूरा करेगा ये दिल हमारा कहता है,
सब्र करने की हमारी आदत तो जैसे हमारे रग रग में बसती है,
उसने हमसे से कहा दो पल रुक जाओ और हम ने अपनी जिंदगी इन्तजार में बीता दी,
धोखा देकर प्यार ठुकरा कर तुम तो चले गए और हम खड़े है उसी राह पर,
भरोसा हम न कर पाए किसी और पर ये खता हम कर बैठे,
बहुत मुश्किल से संभाला था इस दिल को किसी पे एतबार फिर हुआ,
जाने क्या होगा अंजाम इस मोहब्बत का अब ये रब ही जानता होगा,
कहते है सब की सब्र का फल मीठा होता है अब क्या फल मिलेगा इसका ये वक्त ही बताएगा
अपने कर्म किये जा रहे है हम दिल टूटता है या जुड़ता है ये वक्त ही बताएगा,
नसीब की बात है ये नसीब में क्या है नहीं जानते हम,
हाथों की लकीरों को हम अपने आप बदल नहीं सकते ।