अध्यात्म की यात्रा
अध्यात्म की यात्रा
संस्कारों में आरोहण सतत गति का संकेत है।
अध्यात्म की यात्रा में क्षण-क्षण का संकेत है।
अवगाहन के होने से सत्य का परिचय होता है।
श्रेय ही श्रेयस्कर है चहूँ ओर ध्वनिमय होता है।
कब तक रहेगा बंजारा तू घर है तेरा आत्म स्वरूप।
परमहंस बन जान ले तेरा अपना परमस्वरूप।
राम नाम की संजीवनी से संशय के जाले हट जाते।
राम नाम जाप से बंधन सारे कट जाते।
धरा सजाए श्री राम को ध्याएँ प्रभु राम के दर्शन हो जाए पल-पल श्री राम को जप ले जीवन तेरा तर जाए।
भक्ति सुधा बरसे छंदों से श्लोकों की ऐसी श्रृंखला बना ले।
हर श्लोक हो गहरा सागर-सा सागर को अपना आदर्श बना ले।
प्रभुराम का जो प्रतिबिंब दिखाए छंद वही प्रिय बन जाता है।
वर्ण-वर्ण भक्ति सुधा बरसाए भजन वही अप्रतीम सुख दे जाता है।
क्षण भर भी जप ले जीवन तेरा तर जाएगा।
राम नाम का मंत्र संताप सारे हर ले जाएगा।
सत्य असत्य का बोध कराते निस्पृहता को श्रेष्ठ बताते।
सकल विश्व के स्वामी ज्ञान-ध्यान से सध जाते।
