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Antariksha Saha

Romance

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Antariksha Saha

Romance

अधूरी सी कविता

अधूरी सी कविता

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तेरे जाने पे खुद को समेट लिया था

सोचा था ज़िन्दगी खत्म है


ना नींद थी ना चैन था

इश्क़ इबादत थी कभी ना रैन था


बात दिल की लफ़्ज़ों में थी

पर लब पे खामोशी सी थी


सच कह रहा हूँ तेरी कसम

आज भी सपनों में तेरी राह तकता हूँ


ज़िन्दगी के और कुछ पल

ख़ुदा ज़रूर लिखता तो उसका क्या बिगड़ता


मन के किसी कोने में

आज भी मुलाकात की उम्मीद रखता हूँ



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