भूल चुका है तू
भूल चुका है तू
इन पहाड़ों मे सुन
वही धुन
वह शौद्धि मिट्टी क्या बोले
आके फ़ना हो जा मुझमे कहीं
यह बारिश आज भी याद दिलाए
वह पल जो भूल चुका है तू
ओस से भीगे घास की
वह महल्ला वह नुक्कर की
वह चाय की दुकान की
सौगात कब तक तू
भूले रहेगा
गुमशुदा सा इस अनजान शहर मे
जिए जा रहा है
कहने को तोह बहुत भीड़ है
बस मन मे कही तू अकेला सा है।