STORYMIRROR

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

मां

मां

1 min
371

मां

अतुलनीय

होती

है

मां

शब्दों में

नहीं

बंधती है

मां

भावनाओं में

जीती हैं

मां

विश्वास के

डोर लिए

रिश्ते को

संजीदगी से

निभाती है

मां

जीवन तो

अपना

जीती है

लेकिन

सारा

जीवन 

अपने

परिवार

के लिए

समर्पित

करती है

मां

कभी

पत्नी

कभी

मां

बनकर

तो कभी

बुआ

कभी

चाची

बनकर

हर

रिश्ता वो

संजीदगी से

निभाती है

मां

अनमोल

होती है

मां

एक

अपरिभाषित

शब्द है

मां सिर्फ

मां होती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract