मां
मां
मां
अतुलनीय
होती
है
मां
शब्दों में
नहीं
बंधती है
मां
भावनाओं में
जीती हैं
मां
विश्वास के
डोर लिए
रिश्ते को
संजीदगी से
निभाती है
मां
जीवन तो
अपना
जीती है
लेकिन
सारा
जीवन
अपने
परिवार
के लिए
समर्पित
करती है
मां
कभी
पत्नी
कभी
मां
बनकर
तो कभी
बुआ
कभी
चाची
बनकर
हर
रिश्ता वो
संजीदगी से
निभाती है
मां
अनमोल
होती है
मां
एक
अपरिभाषित
शब्द है
मां सिर्फ
मां होती है।
