तुम
तुम
तुम उगते सूरज की लालिमा हों
जिसका प्रकाश सारी दिशाओं में विद्यमान हैं
तुम चांद की शीतलता का एहसास हों
जिसकी धवल चांदनी हर तरफ सुशोभित हैं
तुम आसमान में चमकता सितारा हों
जिसकी रोशनी से आकाश रोशन हैं
तुम कला की आकृति हों
जिसके स्पर्श से एक नई कृति बनती हैं
तुम महकता फूल हों
जिसकी ख़ुशबू से बगिया महकती हैं
तुम एक घना पेड़ हों
जिसकी छाया से नर्म छांव हैं।