नश्वर
नश्वर
हम टूटे बहुत हैं
हम रुठे बहुत हैं
पर साथ कभी छोड़े नहीं तेरा
बस ऐसे ही कटती रही ज़िन्दगी।
हाथ छूटे बहुत हैं
दिल टूटे बहुत हैं
पर साथ कभी छोड़े नहीं तेरा
बस ऐसे ही कटती रही ज़िन्दगी।
तेरे नाम बहुत हैं
तेरे पैगाम लाने वाले बहुत हैं
हम अनजान कौन सही कौन श्रेष्ठ मे लगे हैं
और तुझसे दूर जा रहे हैं।
तूने क्या हमें खुद जैसा बनाया
हम खुद को रब समझ बैठे
तेरे बनाये इस नश्वर जहाँ को
स्वर्ग समझ बैठे।
अप कर्म दुस कर्म को नैतिकता का आधार बना बैठे
झूठ और सच के कसमकस होने की गुंजाईश खो बैठे हैं
तेरे बनाए इस जहाँ मे हम मुखौट्टे बदल बदल के
खुद को खो बैठे।