अधूरी मोहब्बत
अधूरी मोहब्बत
तेरे सारे अरमान अधूरे रह गए
मेरे सारे इल्ज़ाम अधूरे रह गए
क्यों होती है शाम तुम्हें घर आने में
मेरे सारे सवाल अधूरे रह गए
कुछ क़िस्से अधूरे रह गए
कुछ जज़्बात अधूरे रह गए
महकती थी राते तेरे इश्क़ की स्याही से
अब सारे ख्वाब अधूरे रह गए
कुछ सपने अधूरे रह गए
कुछ बातें अधूरी रह गई
होनी थी मुलाकात अपने इश़्क की
वो बारात अधूरी रह गई
तेरा यूंँ हर बात पर हँसाना और
मेरा तेरी बात पे खुल के यूंँ मुस्कुराना
गुम हो गई हूंँ खुद में ना जाने क्यों
अब वो मुस्कान अधूरी रह गई....