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Deepali suyal Suyal

Tragedy

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Deepali suyal Suyal

Tragedy

आखिर कब तक

आखिर कब तक

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कोई बताए मुझे

क्या कसूर है मेरा

कसूर सिर्फ इतना

मै एक औरत हूं?


क्यों तुम भूल जाते हो

जब जिस्म को मेरे नोचते हो,

याद नहीं आती वो मां 

जिसके जिस्म से तुम पलते हो?


अरे ओ कानून के रखवालों

क्यों तुम नहीं सुनते हो,

हर रोज होते यहां बलात्कार

अपनी बहन बेटी के लिए 

थोड़ा सा क्यूं नहीं सोचते हो?

 

मन विचलित सा होता है

दिल हर मां का यहां रोता,

जमा बैठे है जो कुर्सी सत्ता में

तुम क्या समझो दर्द किसी का, 

जब जिस्म किसी का जलता है।


कोई सुने पुकार यहां हमारी 

अब कोई मुझे नहीं दिखता है,

वादे हजार करने वाला नेता

सिर्फ यहां चुनावों में ही दिखता है।


नन्हीं नन्हीं उंगलियों जिसकी

उसके जिस्म को भी,

यहां दरिंदा तरशता है

नि:शब्द हो जाती हूं मैं,

जब अख़बारों में 

बलात्कार ही छपता है।



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