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बेटियां (बेटी बचाओ )

बेटियां (बेटी बचाओ )

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वो मासूम

वो नादान

वो परियो सी कोमल

वो तितली सी चंचल

वो छनकाती पायल जमकर

वो मुस्कुराए जैसे

खिलता फूल बगिया पर

वो रौनक घर पर

वो भोली सी सूरत

वो प्यार की मूरत

जैसे उगता सूरज

वो शीतल चांँद सी

वो करे तारों सा घर को जगमग

वो बढ़ाए मान उम्र भर

वो खुशियां बाबा की

वो मांँ की लाडों हरदम

वो भाई की बहना

राखी से सजाएं कलाई हरपल

वो बेटियां ही होती है

जो करती है घर को रौशन...


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