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बूढ़ा पीपल का पेड़

बूढ़ा पीपल का पेड़

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वो बूढ़ा पीपल का पेड़

मेरे घर की थोड़ी दूरी पर

ना जाने कितनों का

बचपन उसने देखा है।


बचपन से मैंने भी

उसे ऐसे ही देखा है

अडिग है बरसों से

पूजा भी जाता है

मन्नतों का धागा भी

बाँधा जाता है।


अपनी हरियाली से

सबको लुभाता है

वो बूढ़ा पीपल का पेड़

खुद धूप में खड़े होकर

ना जाने कितनों को छाँव

देता है।


उसकी टहनियों पर ना जाने

कितने पंछियों का घर बसता है

चिड़ियों की चहचहाहट से

वो हर शाम झूमता है।


शीतल ठंडी मस्त हवा से

हमे ताजगी दिलाता है...

वो बूढ़ा पीपल का पेड़...।।


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