अधूरे-अरमान।
अधूरे-अरमान।
आज होली खेलने निकला था, याद तुम्हारी करते हुए।
मन में एक उमंग थी रंगने को, पर तुम्हारे दीदार न हुए।।
भूल ना सका उस पल को, जब देखा किसी और को रंगते हुए।
मुझसे क्या खता हुई, जो मुझको तुम जल्दी भूल गईं।
इतने करीब होकर भी, मुझसे क्यों इतनी दूर हो गईं।
भुला ना सकूँगा वह होली, जो खेली थी आपस में रंगते हुए।।
कितने सपने संजोए थे दिल में, आया था पूरी करने इस होली में।
हसरत अधूरी ही रह गई, जब देखा तुमको किसी और की बांहों में।
दुआ करता हूँ यही, कि हर पल तुम्हें देखूँ मुस्कुराते हुए।।
रंगो भरी दुनिया हो तुम्हारी, कर लेना कभी याद हमारी।
प्रेम- रंग कभी फीका न होगा, बीत जाए चाहे उम्र हमारी।
सपनों से कभी तुम जुदा ना होगी, जी लूँगा उसी को याद लिए।।
चाहत हमारी कभी कम ना होगी, इशारों में ही तुमसे बात होगी।
तुम चाहो ना चाहो तुम्हारी मर्जी, सपनों में ही तुमसे मुलाकात होगी।
इंतजार रहेगा "नीरज" को तुम्हारा, खड़ा रहूँगा दर पर "अधूरे अरमान" लिए।।