अभिव्यक्ति का अधिकार
अभिव्यक्ति का अधिकार
पैमाना हो जाम तुम्हारा जिक्र ना हो
गीत लिखें और तुम्हारा जिक्र ना हो
संवादों में बात अधूरी तो होगी
संबंधों की बात करें और तुम ना हो
तुम बिन जैसे शब्द कहीं अधूरा हो
तुम बिन जैसे दर्द ही सचमुच पूरा हो
तुम बिन दुनिया मैं कैसे देखूं
तुम बिन जीवन चक्र कहीं अधूरा हो
मैं कुछ लिख दूँ और वह तुम तक पहुंचे
शब्दों की परिक्रमा बस वहीं पर पूरी हो
दर्द मेरा महसूस करो फिर उफ बोलो
संवादों का भृमण किंचित तभी तो पूरा हो
भाव तो भव-बन्धन से हर-पल परे रहें
इनके उत्सर्गों पर प्रत्यय का भार ना हो
लेखन तो शैली है अविरल गतिमयता है
व्यक्ति पर अभिव्यक्ति का यह अधिकार तो हो
संवादों में बात अधूरी तो होगी
संबंधों की बात करें और तुम ना हो
लेखन तो शैली है अविरल गतिमयता है
व्यक्ति पर अभिव्यक्ति का यह अधिकार तो हो।
