जब काग़ज़ को, भर जाते हैं। जब काग़ज़ को, भर जाते हैं।
जब तराश रहा था मैं बुत अनगिनत , समानता रखने में नहीं थी कोई किल्लत एक ही भाव थे, एक ही जीवन शैली जब तराश रहा था मैं बुत अनगिनत , समानता रखने में नहीं थी कोई किल्लत एक ही भाव थ...
लेखन तो शैली है अविरल गतिमयता है व्यक्ति पर अभिव्यक्ति का यह अधिकार तो हो। लेखन तो शैली है अविरल गतिमयता है व्यक्ति पर अभिव्यक्ति का यह अधिकार तो हो।
एक ही आधार है समन्वय का प्रचार है ज्ञानमय एवं भक्तिमय हुए एक अखंड आधार है प्रार्था एक ही आधार है समन्वय का प्रचार है ज्ञानमय एवं भक्तिमय हुए एक अखंड आधार ...
आपकी अपनी विशेषता है, आपकी अपनी शैली है। आपकी अपनी विशेषता है, आपकी अपनी शैली है।
अपनी भाषा हेतु क्यों कर रहे हैं सब अपना मन मैली ? अपनी भाषा हेतु क्यों कर रहे हैं सब अपना मन मैली ?