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अभी तो मालूम भी ना था कि जाना

अभी तो मालूम भी ना था कि जाना

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अभी तो मालूम भी ना था कि जाना है कहाँ

कि मंज़िलें पहले ही हमें देखकर छुप गयी

तरक्की कर गए दोस्त मेरे मुझे बर्बाद कर

दुश्मनों की ज़रूरत अब किसे पड़ गयी


आँखों से गिरने लगे है आंसू ज़मीन पर

बारिशों की ज़रूरत अब किसे पड़ गयी

आग लग गयी मेरे घर में

हवायें और भी तेज़ चल - चल गयी


कश्ती को मेरी

किनारा क्या मिल गया

लहरें अब

समंदर छोड़ के चली गयी...!


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