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दिलों से बहुत खेले राजकुमार

दिलों से बहुत खेले राजकुमार

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दिलों से बहुत खेले राजकुमार

बचपन में शायद खिलौना काम न आया


रातों को जाग जल गए मेरे सपने

सूरज का सुबह जलना काम न आया


कङवे सच ने मेरी आँखे खोल दी

झूठ तेरा मीठा फसाना काम न आया । ।


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