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सब चोर हैं यहाँ !

सब चोर हैं यहाँ !

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सब चोर हैं यहाँ, किसे उधार देना चाहिए

कानून को भक्षक बनने का सवाब देना चाहिए

काँटों पे चल कर छील गए पाँव मेरे

अब रास्तों पे मुझे बिछा गुलाब देना चाहिए


चारों तरफ अँधेरा नाच रहा है ऊपर नीचे

सूरज को थोड़ा फैला आफताब देना चाहिए

जल रहा है पूरा देश भ्रष्टाचार की आंधी में

इसकी मिट्टी को नफासत का सर्द सैलाब देना चाहिए


सवाल तो सब पूछते है,

क्या, कब, कैसे,

कौन खामोश रहे,

किसको जवाब देना चाहिए !


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