अब तो यही हमारा घर है।
अब तो यही हमारा घर है।
अब तो यही है हमारा घर।
जिसे लोग कहते है कब्र।।1।।
आना है तुमको भी यहां।
सबका होना है यही हश्र।।2।।
रिश्ते बहुत ही स्वार्थी हैं।
अब किसी की नहीं कद्र।।3।।
मिलता नहीं खुश बशर।
हर दिल में रहता है दर्द।।4।।
मत आना मिलने मुझसे।
बाहर मौसम भी है सर्द।।5।।
देखा जो जाकर हवेली।
जमी है तस्वीरों पर गर्द।।6।।
ख्वाहिशें तेरी भी है बड़ी।
तभी है तुम पे इतना कर्ज।।7।।
शहर में पसरा है सन्नाटा।
फैले है यहाँ दहशत गर्द।।8।।
क्यों बस्ती है यूँ सूनसान।
गए कहाँ पे यहाँ के फर्द।।9।।
खुदा ने किए है सब पर।
लाजिम माँ बाप के फर्ज़।।10।।