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डॉ. रंजना वर्मा

Abstract

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डॉ. रंजना वर्मा

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अब तो मानव जाग

अब तो मानव जाग

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सूरज बरसाने लगा नभ से भीषण आग

करनी तेरी ही हुई अब तो मानव जाग । 

अब तो मानव जाग , काट मत पादप प्यारे

पंच तत्व का कोप , शांत करते मिल सारे ।

जैसे जलती भाड़ , भूनती जीवों को रज ,

होकर निर्मम आज, जलाता जग को सूरज ।।



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