अब तो मानव जाग
अब तो मानव जाग


सूरज बरसाने लगा नभ से भीषण आग
करनी तेरी ही हुई अब तो मानव जाग ।
अब तो मानव जाग , काट मत पादप प्यारे
पंच तत्व का कोप , शांत करते मिल सारे ।
जैसे जलती भाड़ , भूनती जीवों को रज ,
होकर निर्मम आज, जलाता जग को सूरज ।।
सूरज बरसाने लगा नभ से भीषण आग
करनी तेरी ही हुई अब तो मानव जाग ।
अब तो मानव जाग , काट मत पादप प्यारे
पंच तत्व का कोप , शांत करते मिल सारे ।
जैसे जलती भाड़ , भूनती जीवों को रज ,
होकर निर्मम आज, जलाता जग को सूरज ।।