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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

अब तो चले आओ

अब तो चले आओ

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क्यूँ जज़बातों की लकड़ीयों में 

चाहत की चिंगारी तुम छोड़ गए 

कतरा-कतरा अश्कों से 

सपनो के कुएँ भरे है

 

हंसी के सितारों से सजाया है 

अहसासों का शामियाना

सुर्ख गालों की लाली का रंग भरकर 

उस राह पर बिछाया है मैंने 

दिल का एक टुकड़ा 

जिस पर चलते तुम आओगे

 

चारों दिशाएँ महकती है 

मेरी साँसों की महक से 

उसे महसूस करते चले आओ

कहाँ कहर है कज़ा का देखो 

इस दहलीज़ पर जश्न खड़ा है 

चले आओ


तुम्हारे नैंनो की पाक सुराही से

चाहत की कुछ बूँद चख लूँ 

प्यासी है उर धरा, बैरागी मन है

इससे पहले की 

तुम्हारे इंतजार से लड़ते 

दिल की जंग में मौत जीत जाए


रति से मेरे स्पंदन पर 

कामदेव बनकर बरस जाओ

विसाल ए यार की ख़्वाहिश में 

सजदे में झुकी है आँखें 

खुदाया अब तो चले आओ।


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