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Kumar Ritu Raj

Tragedy

4.3  

Kumar Ritu Raj

Tragedy

अब सुबह 5:00 नहीं बजते

अब सुबह 5:00 नहीं बजते

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278


वह अचानक जिंदगी में आया था

जो "बन्नी" नाम पाया था

कभी गुड़ाता था भी वह रोता था

ना जाने क्या पाता - क्या खोता था


हम उन्हें चाइनीज बैटरी बुलाते थे

क्योंकि वह चलते-चलते गिर जाता था

एक बात उस में थी अलग


चाहे जो हो रसोई ना जाता था

यकीन मानिए हमारे खाने के

बाद खाने की चाह में

कभी-कभी घंटों बिताता था


मैं कहीं से आऊं, मैं कहीं को जाऊं

वह पास आता था कुछ यूं लिपट जाता था

जैसे मिलते हो कभी-कभार


मेरा "अलार्म" था , मां का "मित्र"

भाई का "दोस्त" , घर का "सैनिक"

चाहे आवारा था पर बहुत प्यारा था


एक पहल हमसे मिला ना

सोचा था यह अंतिम पल होगा

साथ रहते "बन्नी" कायह आखिरी छन होगा


मिलकर चला घूमने दोस्तों के संग

जो सड़कें उनकी दिल्लगी थी

किसी वाहन ने उनके

दिल पर चक्का चला दिया


वह तो चला गया अब

दफनाने की बारी मेरी थी

आंखें थी नम मेरी

क्योंकि उसने मेरे साथ भी खेली थी


अगली सुबह पता चला

अब सुबह 5:00 नहीं बजते मेरे।




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