मित्र बनाता हूँ तलाशता हूँ। अपनी रूह का सुकून , मित्र बनाता हूँ तलाशता हूँ। अपनी रूह का सुकून ,
पुरानी दीवार घड़ी के पेंडुलम में मैंने अपना गूंगापन सी दिया है। पुरानी दीवार घड़ी के पेंडुलम में मैंने अपना गूंगापन सी दिया है।
मैं कहीं से आऊं, मैं कहीं को जाऊं वह पास आता था कुछ यूं लिपट जाता था मैं कहीं से आऊं, मैं कहीं को जाऊं वह पास आता था कुछ यूं लिपट जाता था