आज़ादी
आज़ादी
आजादी की ७३ साल मनाये के हम कुछ दिनों में
पर सवाल आज भी आता हे मन में
क्या सच में हम आज़ाद हो गए
भारत देश जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक विस्तार है
हर एक समस्याओ से उलझ रहा है
कई बिजली की रोशनी चमक रही है
तो कई दिये की उजाले में बच्चे पड़ रहे है
कई खाने की बर्बादी हो रही है
तो कई कचरे के डिब्बों में भूखे खाना खोज रहे है
कई भक्ति भाव से नवरात्र में देवी माँ की पूजा होती है
तो वही उसी माँ की बेटियों पर अत्याचार होता है
इंसाफ पैसो में बिक जाता है
निर्दोष फांसी पर लटक जाता है
मंदिरों में सोने का चढ़ावा
तो कोई गरीबी से जुझ रहा
कोई मेहनत की रोटी खाता है
तो कोई लूटपाट का भोजन करता है
आज़ादी तो इन् बातो से तो नहीं मली
पर हर साल आज़ादी का तिरंगा पहराना हम नहीं भूले।