आया वसंत
आया वसंत
मधु लेकर आया है बसंत
खिल आए हैं पुष्प वाटिका में
चहुं और आ रही सुगंध।
शरद में सिमटे सब बैठे थे।
सूर्य देव भी कम दिखते थे।
आरंभ हुआ फिर प्रेम प्रसंग देखो आ गई है बसंत।
सैनिक साजन छुट्टी लेकर अब आओ।
मन मयूर अब नाचे छम छम।
कोयल कूके अब हर डाल पर।
मयूर भी नाचे उनकी ताल पर।
मौसम अधिक सुहाना लागे
तुम बिन अब ना मेरा मन लागे।
प्रकृति ने भी श्रृंगार किया है।
पीली चूनर को मैंने भी ओढ़ लिया है।
मुरझाए फूल भी अब खेलने लगे हैं।
नन्ही कलियों के चक्षु भी अब खुलने लगे हैं।
मौसम भी मुस्करा सा रहा है।
जब से तुम्हारा पत्र मिला है।