आवाज़
आवाज़
सुनो कुछ बताना है तुम्हें
बीते कुछ दिनों से हर शख्स मेरी आवाज़ का दीवाना हो रहा हैं
पर तुम्हें तो मेरा चुप रहना पसंद था
यही सोच मेरा दिल शम्मा में जला वो परवाना हो रहा है
तुम तो कहते थे मेरी आवाज़ में वो बात नहीं
पर ये तो कुछ और ही अफ़साना हो रहा है
लोग कहते है मुझे मेरी आवाज़ में एक दर्द छुपा है
मेरे महबूब तेरी महफ़िल में मेरा होना तो बेगाना सा हो रहा है
दिलदार मेरे तू तो कुछ यूँ चुप रहता है मेरी नज़्म सुन
फिर न जाने क्यों ये महफ़िलों में मेरा इश्क़ सूफियाना हो रहा है
कशमकश सी है दिल में मेरे किस बात का मैं एतबार करूँ
ये दिलनशी तू ही बता ये कोई नया फ़साना हो रहा है
मशहूर तो न तब होना था मुझे न अब वो चाहत है
जाना अब तो तू ही बता तेरा न होना
क्या मेरी कलम का बहाना हो रहा है
सुनो कुछ बताना है तुम्हें
बीते कुछ दिनों से हर शख्स मेरी आवाज़ का दीवाना हो रहा हैं।