आशना
आशना
तू ही मेरी इब्तिदा और है इख़्तिताम
तू ही माज़ी मेरी तू है मेरी मुस्तक़बिल
बस बज़्म में तेरी तबस्सुम होठों पे
वरना तिशनगी में ये जलते रहे
नफ़्स है तू मेरी ख्वाब की ताबीर भी
माना तुम्हें आशना..आशना आशना..
तू भी मान ज़रा...
आशना आशना ओ ओ आशना
अना में मेरी ज़िक्र तेरी दिखती रही
हिज्र खुद से हुआ अंजुमन में तेरा
इश्क़ अपना जहाँ से छिपा के रखा
उन्स मेरा है इसके बस दो गवाह
वक़्त तो जानेजान गुज़र ही गया
कुछ कर न सका उसकी फितरत यही
तू मगर न मुकर, न कर ये खता,
देख लेना मैं हो जाऊंगा फना
दिल में रहना आशना आशना
ए मेहजबीन मादनो आशना आशना
तू ही नूरी मेरी, इनायत तू ही
मुझे तू भी बना अपना आशना
ओ ओ ओ आशना आशना आशना
मौका मुझको अगर खुदा ने दिया
आयत में लिख दूंगा नाम तेरा
बन जाए रक़ीब मेरा हर कोई
फिर भी साथ तेरा न छोडूंगा कभी
मुकम्मल करूंगा तेरी हर कमी
शिद्दत से है चाहे ये फितूर नहीं
इज़्तिराब मैं हूँ,मैं बर्बाद हूँ
मगर जुस्तजू में तेरी बेताब हूँ
आशना तुम बनो, हमेशा रहो
पिहारवा आशना आशना
हूर हो तुम हो उनसे ज़्यादा हसीं
आशना आशना बन मेरी ज़ोहरा जबीं
आशना आशना मेरी बन जाना आशना
ओ ओ ओ आशना आशना आशना।।
