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Kuldeep kaushik

Classics Inspirational

4  

Kuldeep kaushik

Classics Inspirational

आफताब है

आफताब है

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लफ्ज़ अब थमने लगे हैं, उम्मीदों मे ठहराव हैं !

जो थे सपने पूरेे होने, लगते महज एक ख्वाब हैं !


मेरी हंसी के ऊपर है बेपरवाही का पर्दा,

और हंसी के पीछे सिर्फ उदासियों के सबाब है !


पर इन अधेरों के सवालों पे, मेरे अपने कुछ जवाब हैं !

परिवार साथ मेरे, तभी हिम्मत में, अभी तक आफताब हैं !


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