आफताब है
आफताब है
लफ्ज़ अब थमने लगे हैं, उम्मीदों मे ठहराव हैं !
जो थे सपने पूरेे होने, लगते महज एक ख्वाब हैं !
मेरी हंसी के ऊपर है बेपरवाही का पर्दा,
और हंसी के पीछे सिर्फ उदासियों के सबाब है !
पर इन अधेरों के सवालों पे, मेरे अपने कुछ जवाब हैं !
परिवार साथ मेरे, तभी हिम्मत में, अभी तक आफताब हैं !
