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Kuldeep kaushik

Others

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Kuldeep kaushik

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गुनाह है

गुनाह है

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तेरी बेरूखी गुनाह है, तेरा नखरा गुनाह है!

मेरी जान तेरी अदा पे, मेरा हर मशवरा गुनाह है!

रातों को सोने जाऊँ अगर, तो जान ले जानेमन,

तेरे ख्वाबों के आने को ना सोचना भी, जबरा गुनाह है!

याद ना रखना तेरी बात, गुनाह था मेरा एक!

याद दिलाने पे भी ना याद आया, ये दूसरा गुनाह है!!

चल इसे ही समझ के मेरी नादानी, अब मुस्कुरा भी दे,

रूठने-मनाने से ही तो, प्यार बढ़ता कई गुना है!


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