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तुझे सताना-तुझे मनाना

तुझे सताना-तुझे मनाना

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जिंदगी में खुशियों का बस इतना बहाना होगा,

कभी तुझे सताना होगा, कभी तुझे मनाना होगा!!

 

झेलने होंगे लाखों शरारतें और नखरे तेरे!

बदलें में इतना तो जुल्म तुझपे ढाना होगा!!

उठा ले जाऊँगा किचन में आधी रात को!

जहाँ तुझको मेरे लिये खाना बनाना होगा!!

 

ऐसा नहीं कि बस खाने के लिये जगाऊंगा तुझे!

बरसात कि रात में दिल अगर आशिकाना होगा!!

कान में बूंदों का शोर, आँखों में तुम मासूम सी!

ऐसे में तुम्हें भी अपनी नींद को गंवाना होगा!!

 

ग़म होंगे जितने उतने हम और पास आयेंगे!

खुशियों में तो साथ सारा जमाना होगा!!

राहें मखमली हों या पत्थर से भरी!

हाथों में होंगे हाथ, हाथों का यही ठिकाना होगा!!

 

करेगी तू हर ऐश, जीने के अंदाज दूँगा कुछ यूँ!

हर कोई जलेगा या तुम्हारी अदा का दीवाना होगा!!

सोयेगी मेरी बाँहों में, जागूंगा तुम्हारी बाँहों में!

कुछ ऐसा सा हसीं, अपना आशियाना होगा!!

 

ज़िंदगी में खुशियों का बस इतना बहाना होगा,

कभी तुझे सताना होगा, कभी तुझे मनाना होगा!!


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