Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

Classics

4  

सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

Classics

इक प्रयास

इक प्रयास

1 min
379


संघर्षों में हमने जाना, आजादी क्या चीज है

घुट-घुट कर जीना, और खामोशी से मर जाना है। 


मुगलों तुर्कों से लड़े-भिड़े, अँग्रेजों से लिये लोहा

मर – मर के जी लिये, जिस्म हुआ स्वाहा। 


न जाने कितनी जिंदगी जिये, न जाने कितनी मरे

तिरंगे की खातिर साँसों को, साँसों से जोड़ करे। 


कंदराओं को आगार किये, रौशन घर के दरबार किये

मिली मिल्कियत आजादी की, प्राणों को उत्सर्ग किये। 


घुटन भरी हवाओं में, स्वतंत्रता की चाह लिये

झूले फंदों पर, प्राणों का न मोह लिये। 


हसरत बस इतनी रखे, ‘परिमल’ चाहों को बरकरार रखें

खुली हवाओं में, बहार गलियों को स्वतंत्र रखें। 


हर दिल खुशियों से भरा रहे, यूँ ही बरसों बरस रहे

खुशियाँ दो चार रहे, सबके दिलों में बेसुमार प्यार रहे। 


Rate this content
Log in