आप क्यों मौन हैं?
आप क्यों मौन हैं?
कैसी यह सभा है इसमें
दुर्योधन के सिवा सभी हैं मौन।
पुत्र मोह में उलझा राजा यही भूल गया कि आज यहां पर सम्राट है कौन?
टूटती मर्यादाएं है मानवता चीत्कार कर रही,
मौन है संस्कार सब रिश्ते ही हुए गौण ।
युग है छल प्रपंच का,
नैतिकता के ध्वंस का।
अरे अभी तो कलयुग भी दूर था
फिर कारण क्या था विध्वंस का?
प्रत्येक युग के पतन का
एक मात्र कारण ही तो मौन है।
आवाज दुर्जनों की मुखर सज्जन सभी यहां मौन है।
अन्याय तो बडेगा ही
न्याय जब तक मौन है।
दानवता क्यों ना बड़े जब मानवता ही मौन है।
करूण क्रंदन चीत्कार है
देख सुनकर भी सब क्यों मौन है?
युद्ध की विभीषिका भी सामने खड़ी है तो क्या?
सामने वाली ताकत तुमसे भी बड़ी है तो क्या?
मृत्यु अटल सत्य है आनी भी अवश्य है।
फिर आत्म सम्मान को दाव पर लगाने की जरूरत है क्या?
बोल ,बोल, बोल, मौन के पट खोल।
बोल तब तक जब तक ना जाए अनैतिकता का सिंहासन डोल।
बोल बोल बोल, क्यों हुए हैं सब मौन।