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Awadhesh Uttrakhandi

Tragedy

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Awadhesh Uttrakhandi

Tragedy

आओ कोरोना को हराना है।।

आओ कोरोना को हराना है।।

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मुझे मज़बूर मत करो महामारी फैलाने को,

कुछ वक्त को छोड़ दो मुझको अकेला चलने को।।


है रात भयंकर काली सी, और गर्म उजाला दिन।

डर का जो आवरण फैला जग में, उसको भी मिटाना को,

घर से बाहर मत निकलो साथी, औरो की पीड़ा बढ़ाने को।।

मुझे मज़बूर मत करो महामारी फैलाने को।

कुछ वक्त को छोड़ दो मुझको अकेला चलने को।।


अगर फैल गई धारा पे मैं, हर तरफ अंधकार मिलेगा,

जहां हंसी और खुशियों का भंडार,

वहां करून पुकार मिलेगा,

जीवन को जीने की फिर हर पल में आह निकलेगी।।

आओ मिल कर प्रण करो है मनुज,

मुझसे थोड़ी दूरि रखो।।

खुद को साफ सूंदर करो, औरो को भी सजग रखो।।



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