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मिली साहा

Abstract Inspirational

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मिली साहा

Abstract Inspirational

आखिरी बार माफ़ कर देना

आखिरी बार माफ़ कर देना

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ख़ाक हो जाना है एक दिन हम सभी को

तो दिल में क्या बैर रखना

एक माफ़ी से गर होती है कोई समस्या हल

तो माफ़ ज़रूर कर देना।।


माना कुछ गुनाह ऐसे जिसे चाहकर भी 

माफ़ नहीं किया जा सकता

पर हम कौन होते हैं, सज़ा देने वाले

ख़ुदा तो वैसे भी उसे माफ़ी नहीं दे सकता।।


बार-बार लोग करते हैं गलतियाँ 

और फिर करते माफ़ी की गुजारिश

आखिरी बार माफ़ कर दो कहकर

फिर से दोहराते हैं गलतियों की बारिश।।


अपनी गलती का जिसे होता है पछतावा

वही तो माफ़ी का महत्व समझता है

बार-बार अपनी गलतियों को दोहरा कर

कभी अपनों का दिल नहीं दुखाता है।।


माफ़ कर देना तो बड़प्पन है 

पर कुछ लोग इसका फायदा उठाते हैं

चंद साँसों की इस ज़िन्दगी को 

बस गलतियाँ करते करते गुज़ार देते हैं।।


बड़ी से बड़ी ग़लती को जो बार-बार माफ़ करता

समझो वो इंसान बहुत खास है

माफ़ी गर मिल भी जाए हर बार किसी को 

तो भी कमज़ोर हो जाता औरों का विश्वास है।।


जिस दिन अपनी गलती का हो एहसास

उस दिन माफी की बात करना

"आखिरी बार माफ़ कर देना"

केवल दिखावे के लिए नहीं दिल से कहना।।



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