आजकल
आजकल
बिना परेशानियों के परेशान है इंसान
गैरों की हर हरकत पर रखता है ध्यान,
अपनी तलाश के नाम पर भटका इंसान
खुद मंजिल से बेखबर बाँटता सबको ज्ञान।
सभी गुरु हैं यहाँ देखो हैं सभी मार्गदर्शक
अपनी उजड़ी जिंदगी का देते हैं उदाहरण,
तुम मत करना ये कभी ना बनना मेरे जैसा
बनकर सुभचिन्तक देते हैं हमें ही ये शरण।
जब बिलख - बिलख कर रोकर पुकारोगे
चुप कराने वाले दे जाएंगे अपना भी ग़म,
मेरी तकलीफ़ के आगे तुम्हारा दर्द कुछ नहीं
हमारे ज़ख्म को आँकते हैं हमेशा ही क्यूँ कम।
अपनों की हिफाज़त के डर में रखते हैं खंज़र
ना अपने सम्भलते हैं ना सम्भलता है हमसे डर,
घबराहट में कर लेते हैं अपना ही नुकसान हम
घूम - फिरकर रह जाता है भय ही भय अक्सर।