STORYMIRROR

आचार्य आशीष पाण्डेय

Fantasy

3  

आचार्य आशीष पाण्डेय

Fantasy

आज विपदा झर रही है

आज विपदा झर रही है

1 min
152

आज विपदा झर रही है

सुख सरों से तर रही है।।


आम की डाली में देखो

बौर कैसा लग रहा है

बीच उसके आम का वो

बीज कैसे उग रहा है

हैं भ्रमर गुंजार करते

तितलियां स्थिर रही है।।


बाग का हर फूल देखो

मेघ रव को सह रहा है

इस धरा के भ्रमर का मन

हर कली में बह रहा है

है न कोई बात नूतन

यह व्यथा तो चिर रही है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy