उसी दिन हैं होली और उसकी पहली
उसी दिन हैं होली और उसकी पहली
लाख मैं चाहूँ,
ऐ ख़ुदा उसकी याद ना आये,
खुशियों कि फ़िर ऐसी बरसात ना आये,
भीगता रहूँ मैं आंसुओं कि बारिश में,
वो उनकी बांहों में फिलहाल होंगी,
शायद उसे पता हैं भी या नहीं,
उसके ही दिए गये,
मेरे दिल के ज़ख्मों की जब सर्जरी होगी...
उसी दिन है होली और उसकी पहली अनिवर्सरी होगी...!
तन्हाई में ही अच्छे भले थे हम,
भले ही जुगनुओं के साथ सारी रात जले थे हम,
वो उनका हँसना, मुस्कराना,
बेशुमार मोहब्बत और तनहा छोड़ जाना,
अंदर ही अंदर, शायद उन्हें मुझसे नफ़रत होंगी,
ख़ुश तो वो आज भी नहीं होंगे मेरे बिना,
भले ही शौहरत, लाख दौलत होंगी,
उसके ही दिए गये,
मेरे दिल के ज़ख्मों का ज़ब सर्जरी होंगी...
उसी दिन हैं होली और उसकी पहली अनिवर्सरी होंगी...