STORYMIRROR

Manju Rani

Tragedy Inspirational

4  

Manju Rani

Tragedy Inspirational

आज की राधा

आज की राधा

1 min
237


नारी ही छीन ले गई

नारी का देवालय

पर भूल गई केशव

का न्यायालय।

कैसे स्थापित करेगी

अपने महल में कन्हाई

जो महल और देवालय में

अंतर न समझ पाई।

वो विवाहिता के मंदिर

से उलझ गई।

अपने को राधा बताने वाली,

यह जान न पाई

राधा के हृदय में

बसते थे कन्हाई

इसलिए कभी द्वारिका

न जा पाई।

कभी रुकमणी की

गृहस्थी में आग न लगाई।

न ही द्वारिकाधीश के

नंदनों से की रुसवाई।

आज हर बाला अपने

को कहलाना चाहे राधा।

पर कृष्ण को हृदय में

बसा न पाए ,

आज की राधा।

लव बाइट देने वाली

आज की राधा ,

कैसे शूल निकाल

मरहम लगाए,

आज की राधा।

निस्वार्थ प्रेम कहाँ से लाए,

आज की राधा।

दुनिया में उलझ गई,

माया में फँस गई ,

आज की राधा।

कैसे कृष्ण की प्रेयसी बन ,

अपना देवालय बनाए,

आज की राधा। 

कैसे किसी की प्रेम नींंव पर 

स्थापित करे अपना महल,

आज की राधा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy