आज का युग
आज का युग
आज का युग देख कर हम संस्कार भूल गए,
इस चकाचौंध में हम व्यवहार भूल गए।
हम बच्चों को क्या सिखाएंगे जब खुद ही बेईमान हो गए,
हमारी खुदगर्जी को देखकर मां-बाप परेशान हो गए।
कितनी मेहनत से हमको इस लायक बनाए थे,
हम ऐसे निकलेंगे यही सोच कर हैरान हो गए।
हम अपनों को भूल गए इंटरनेट की दुनिया में,
अपनों को पराया परायो को अपना बनाने में लग गए।
जिंदगी बिता दिए आज की भागमभाग में,
भूल गए कोई साथ नहीं देगा हमारे बुरे समय पर,
जब मुश्किल आई तो वही मां बाप मेरे भगवान बन गए।
