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संजय असवाल "नूतन"

Tragedy

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संजय असवाल "नूतन"

Tragedy

आज का इंसान

आज का इंसान

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प्रश्न ना पूछो इससे, 

ये आज का इंसान है,

जो मगरूर, स्वार्थी और दिल का झूठा है,

खुद के लिए जीता है,

ख़ुद से हटकर

नहीं किसी दूसरे के लिए सोचता है,

अक्सर चेहरे पे मुस्कराहट रखता है मगर, 

दिल में फरेब लिए घूमता है,

हरदम लोभ में डूबा रहता है,

सच्चाई से भागता है

और झूठ का साथ देता है,

प्रश्नों से घबराता है,

क्योंकि, 

सच उसे चुभता है, 

भय लगता है 

उसे सच की ताकत से,

उन प्रश्नों से 

जो सीधे वार करते हैं दिल में उसके,

और वो चोर दिल,

सदा छुपा रहता है झूठ की ओट में,

भले दो आंखे हैं उसकी, 

मगर देखता है वो सिर्फ एक आंख से,

अपने स्वार्थ हित मे,

सिक्के के दो पहलू की तरह, 

जो जानते हुए भी

उसे एक ही नजर आते हैं,

इसलिए झठ के आवरण में, 

सदैव सच को निगल देता है,

जब कोई सच परोस देता है 

उसके सामने,

वो चिल्ला उठता है,

भड़क जाता है, 

जोर जोर से बडबडाने लगता है,

अंदर ही अंदर कांपने लगता है,

अपना आपा खोने लगता है, 

डर जाता है,

ये सोच कर  

कि असलियत उसकी  

जग जाहिर हो जाएगी,

नकाब जो पहना सच का उसने 

पोल खुलते ही उतर जाएगा, 

इसलिए छुपा लेता है वो खुद को

उस शुतुरमुर्ग की तरह,

जो अपनी जान बचाने के लिए

धरती में सर छिपा लेता है, 

शायद ये सोच कर कि 

ऐसा करने से झूठ उसका छिप जाएगा, 

और वो सच्चा ही सबको नज़र आएगा।



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