Shah Talib Ahmed

Tragedy

5.0  

Shah Talib Ahmed

Tragedy

आज इजाज़त हैं।

आज इजाज़त हैं।

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आज इजाज़त हैं।

मुझपे सारे इल्ज़ाम रख दो।

तुम अपनी ख़ता भी मेरे नाम रख दो।


क़भी तस्वीर से शिक़ायत।

कभी तकदीर से।


गर ज़र्फ़ हो तो कोई इलहाम रख दो।

मेरे अस्बाब के मुकाबिल तुम सारे अहकाम रख दो।


बेहतर होगा फुर्सत दे दो मुझे हकूकों से।

ऐसा करो मेरी मौत पे कोई इनाम रख दो।


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