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Shah Talib Ahmed

Abstract

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Shah Talib Ahmed

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रहबरी

रहबरी

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कल तलक रहबरी थी तो हम नेक थे।

आज अलाहिदा हुए तो समाज बन गये।


कल तलक ख़ातिर मदारत थे ।

आज नजरअंदाजी से ऐजाज़ बन गये।


कल तलक वाहिद हम इलाज़ थे।

आज इख़्तलाज बन गये।


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