आफ़त
आफ़त
जानती है सब दुनिया
इश्क़ है आफ़त की पुड़िया
मगर फिर भी कहते " आ बैल मुझे मार "
आगे क्या होगा कुछ सोच नहीं इसकी
रहो पास तुम करो जबरदस्ती का प्यार !
क्यूँ जानकर टाँग अड़ाती है दुनिया
इस आग सी परकाले में क्यूँ
जान अपनी फंसाती है दुनिया..!
जानती है जब इश्क़ है आफ़त की पुड़िया...!

