आदत
आदत
आदत सी हो गई है
माँ, बाबा संग रहने की
सोने से पेहले उन्हें निहारने की
आँख खुलते ही उन्हें खोजने की।
आदत सी हो गयी है
माँ के प्यार भरे खाने की
बाबा संग हर शाम बाज़ार जाने की
कभी उनसे रूठने और कभी उन्हें मनाने की।
आदत सी हो गयी है
उनसे ज़िद मनवाने की
शरारत कर उनसे डांट खाने की
और हमेशा उन पर हक़ जताने की।
आदत सी हो गयी है
उनके साथ हर लम्हा बिताने की
फिर कैसे मान लूँ हिदायतें इस रिवाज़ की
और दे दूँ कुर्बानी इन आदतों से बनी पहचान की।
पर कहाँ हो सकी कभी लाडो के मन की
वो तो बस कह सकी यही कि
आदत सी हो गयी है