आभासी दुनिया में प्यार का रकास
आभासी दुनिया में प्यार का रकास
तलाशती है अब नज़रे तुम्हें
सिर्फ़ हरे बिंदू की उम्र में,
जब तक इस छोटी-सी मशीन में तुम्हारी
प्रोफाइल पर ये हरा बिंदू दिखता है
हम तुम्हें अपने करीब महसूस करते है
जब की जानता है दिल की तुम मिलों दूर हो
तुम्हारे अहसास में भी हम नहीं..!
पर इस पागल दिल का कोई इलाज भी तो नहीं..
तुम्हारी एक हाइ हैलो सुनने
हम 18 घंटे अंगूठा घुमाया करते है,
तुम्हें क्यूँ इस बात का इल्म तक नहीं,
इश्क की परिभाषा अंगूठे के
स्पर्श तक सिमटकर रह गई है..!
न देखा न भाला न जाना न पहचाना
मोहाँध से सौंप दिया समुचा खुद को
ये मायावी दुनिया के आभासी अहसास को
हमने पिरो लिए है अपनी रूह के स्पंदनों की माला में..!
तुम छलते रहे अपनी कला की कारीगरी से
हाय हैलो से शुरू हुआ रिश्ता
मोहब्बत की चरम को छूकर
हाय हैलो की कगार पे लड़खड़ाता
एक तरफ़ा चाहत निभाता उम्मीद की आस लिए पड़ा है..!
क्या यही प्यार था तुम्हारा ?
कहते थे कभी साथ ना छोडूँगा
आज सबकुछ भूलकर चले गए.!
तुम्हारी तरफ़ से टूट ही चुका है
पर हम आज भी उस लम्हें को ढूँढने
बार-बार अंगूठे को तकलीफ़ देते है,
की शायद मेरी प्रोफाइल का हरा बिंदू
तुम्हारी नज़रों को छू जाए,
तुम्हें वो गुज़रे लम्हें याद आए,
ओर काश ये रिश्ता फिर से हरा हो जाए..!
काश तुम्हें कोई तुमसा मिले हरे बिंदू की उम्र
संग कटे इंतज़ार में तुम्हारे लम्हें,
तुम भी तरसो हरे बिंदू के दीदार की प्यास लिए,
तुम्हें भी कोई तुमसा नज़रअंदाज़ करे..!
पर तुम्हारे साथ एसा कहाँ होगा दिल्लगी
कहाँ तड़पती है दिल की लगी ही दम तोड़ती है..!
ना करना कोई इश्क आभासी दुनिया के रकीबों से,
उनसे प्यार, इश्क, मुहब्बत ख़ुदा खैर करे।
