100साल
100साल
तुमको मिली है
उमर भरपूर
तुम बूढ़े होकर भी बूढ़े नहीं होते
अपनी छांव में बिठाया है कभी
अपने गोद में खिलाया है कभी
आज बहुत सालों बाद मैंने तुमको देखा
ऐसा लगा लिपट जाऊं तुझसे
आंखो में आंसू थे
लगा तू भी तो तो रहा
सखियां भी सब याद आ गई
तू सबको कितना याद आता होगा
तेरे पास बैठकर कितना जीवन किया हमने
तू शांत चुपचाप सुना
तेरे पास आकर कितनी बार रोया मैंने
तुझे क्या बताऊं
अब एक बार फिर तुझसे लिपटना
कुछ तेरे पास आकर कहना है
मैंने हमेशा तुझे पूजा है
तू ईश्वर का दूसरा रूप है
तू अटल है अनंत है।
