मुखौटा
मुखौटा
कौन सा मुखौटा अपने चेहरे पे लगाऊँ। घरेलू सीधी सादी महिला का मुखौटा लगाती है तो घरेलू हिंसा जीने नही देगी और यदि बाजारू औरत का मुखौटा पहनती है तो सभ्य समाज के सफ़ेदपोश नोचने आ जायेंगे। किसी कड़क अधिकारी का मुखौटा धारण करती है तो भ्रष्टाचार का दैत्य हावी हो जायेगा। सरकारी चिकित्सिका बन यदि समाज सेवा करना चाहती है तो अपनी ही प्रजाति को जन्म से पूर्व ही मारने के अपराध के लिये ज़बरन ढकेली जायेगी। उसे क्या करना है कौन सा मुखौटा पहनना है यह अधिकार भी तो समाज उसे मन से देना नही चाहता। आज फिर जीवन के चक्रव्यूह में खड़ी वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो सोच रही है कि क्या वह इसी असमंजस मे खड़ी खड़ी ही दम तोड़ देगी ।