तुम हमको कैसे भूला सकोगें
तुम हमको कैसे भूला सकोगें
आज हमारे हाथ यशी की डायरी का वह पेज हाथ लगा जिसमे यशी को हम और समझ पायें।आज हमारे बीच यशी तो नहीं रही पर यशी सबकी चहेती यशी तो सबके दिल में बसी हुई है यशी जीवन से भरी यशी हँसती खिलखिलाती यशी सब के दुख में दुख में दुखी रहने वाली यशी का अपने पति से तलाक होने के बाद उसने एक जगह लिखा है कि
"तुम हमको कैसे भूल पाओगे आँगन की विडचैन की घंटियां जब बजेगी तब याद आयेगें चादर की कढ़ाई में हम याद आयेंगे अचार के मर्तबानों हम याद आयेगे "
कितनी पीड़ा थी यशी के मन में इसे पढ़ कर समझ में आता हैं।