चालू औरत
चालू औरत
यह बहुत ही खराब भाषा हमने लिखी पर जो भी रोज घटता है उसी पर लिखने की आदत है।
औरत यानि नारी बड़ा ही गरिमामय रूप है, पर कुछ औरतें इन सब चीजों को अपनी हरकत से खराब करती है पर सब ही नारी कंलकित होती है। यह छल से बल से रूप से काम से कुछ भी हो सकता है।
ऐसे ही एक महिला से हमारी मुलाकात हुई। उसकी भाव भंगिमा इतनी खराब थी कि आप का मन खराब हो जायेगा। अब हमारे साथ जो घटना हुई तो मन बड़ा ही दुखी हो गया। हमारे बेटे या कहिये बेटे से भी अधिक को, लगा कर कह दिया। हम तो अचरज से मुँह ही देखते रह गये जो इन रिश्तों को भी ना समझ सका। वह पशु से भी नीचे है, पर कुछ किया भी नही जा सकता। सबकी अपनी अपनी मानसिकता है।