धोखा नही सबक मिला मुझे
धोखा नही सबक मिला मुझे
मैं अक्सर अकेले रहना पसंद करता था मुझे ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह पसंद नहीं थी और ना ही मेरे ज्यादा दोस्त थे, दोस्त थे भी तो जॉब में स्टाफ मेंबर मैं खाली टाइम अकेला रहना पसंद करता था।
बात आज से एक साल पहले की है,तब मैं 26 साल का था। मेरे मम्मी पापा चाहते थे कि मैं शादी कर लूं जबकि मैं शादी करना नहीं चाहता था। मम्मी पापा को टाल देता था, और उनकी दिखाई लड़कियों में जानबूझकर कोई कमी निकाल देता था।
मैं नौकरी करता था जिससे मेरा और मेरे घर का गुजारा हो जाता था। मकान किराए का था, मैंने यही सोचा था कि शादी तब ही करूंगा जब रहने के लिए मकान होगा, किराए के मकान में किसी की लड़की को लाने का क्या फायदा, ना ही उसके सपने पूरे होंगे ना ही उसके शौक।
मेरा सारा ध्यान नौकरी पर था,ताकि मेरी पोस्ट बढ़े और मेरी सैलरी बढ़े और मैं पैसे जोड़ सकूँ।
बहुत सारी लडकिया नौकरी के दौरान मिलती थी, उनको कभी बुरी नजर से नही देखा, न कोई मन में भाव लाया, मेरे बात करने का ढंग और मेरा सहज स्वभाव हर किसी को आकर्षित करता था,
इसी सफर में कब किस पागल लड़की को मुझसे प्यार हो गया कुछ पता नही चला,
मैं उसे पागल क्यो कह रहा हूँ आगे चलकर आपको भी पता चल जाएगा।
हुआ क्या? बताता हूँ....
एक दिन मेरे फोन में एक व्हाट्सएप्प मेसेज आया। जो किसी लड़की का था, और लिखा था कि "मैं आपसे बहुत इम्प्रेस हूँ। और आपसे प्यार हो गया है।" मैं नही जानती की मैं गलत हूँ या सही मगर जो एहसास मुझे आपसे मिलने में होता है वो कभी नही मिलता, मैं आपसे पेर्शनली मिलना चाहती हूं।"
ये पढ़कर मैं एक पल के लिए आश्चर्यचकित हो गया। फिर मुझे हँसी भी आई। और मैने सोचा कोई लड़का बेवकूफ बना रहा है।
अक्सर मेरे साथ ऐसा होता था बचपन मे,मेरे दोस्त मुझे कई बार नए नंबर से पागल बनाते थे,
फिर मैंने स्माइल फेस सैंड किया और इग्नोर कर दिया।और ड्यूटी चला गया। अब मुझे नही पता चला वो कौन थी ना मैने जानने की कोशिश की ।
मगर शाम को उसके फिर मैसेज आये उसमे उसने मिलने की फरमाइस की, और मुझे मेरी कुछ तस्वीर सांझा की, जिसमे मैं किसी ऑफिस में अपने प्रोडक्ट के गुण किसी कस्टमर को बता रहा था।
मैं हैरान हो गया। मैने कहा इसके पास मेरी तस्वीर कहां से आ गयी। फिर मैंने उसे उसके बारे में पूछा और कहा अपनी एक तस्वीर सांझा करो।उसने मना करते हुए कहा की आपको सरप्राइज देना है, इसलिए मिलेंगे और एक एड्रेस भेजा,मैने अगले दिन सुबह के इंतजार में सो नही पाया, बहुत कुछ सोचा था उसे सुनाने के लिए, उसे डांटने के लिए और उससे हमेशा के लिए आजाद होने के लिए बहुत सारे डायलॉग सोचे थे,
सुबह हुई, मैं जल्दी उठ नहाया धोया और घर से ऑटो पकड़ी क्योकि बाइक में कई दिनों से पेट्रोल खत्म था, और इतना टाइम नही था कि उसे पेट्रोल पंप तक धक्का देकर ले जाऊ, इतवार को ले जाने की सोची थी,मैं ऑटो से बताये गए पते पर खड़ा हो गयाजो कि एक सड़क का किनारा था, मैने सोचा अच्छा किया इधर बुलाया, रेस्टोरेंट वगेरा में तो खर्चा बहुत हो जाता है।
मैं उसका इंतजार कर रहा था, मुझे देर भी हो रही थी डयूटी भी जाना था।
बहुत लोग आए और गए वो नही आई , जो भी लड़की वहाँ से अकेले गुजरती मुझे लगता, शायद ये होगी,
कई बार तो अकेले गुजर रहे लड़के पर भी शक होता, कही ये तो नही मेरी उम्मीदे समाप्ति की तरफ थी।अचानक एक कार वहाँ आकर रुकी, मुझे गाड़ियों के बारे में ज्यादा जानकारी तो नही थी मगर तब उसका चलन इतना था कि सब उसी कार की चर्चा करते,
उस कार मैं एक लड़की थी जो कि बहुत अट्रेक्टिव और सुंदर लग रही थी , मै खुद से बोला ये तो हो नही सकती। मैं कार से नजर हटाकर दांये बाये देख रहा था और साथ ही बार बार टाइम देख रहा था, क्योकि देर हो रही थी।
अब वो कार आगे नही बड़ी और मैने पाया कि वो लड़की मेरी तरफ देखकर कुछ इशारा कर रही थी। मैं जब कार के खिड़की से झांका तो उसने शीशा उतारा तब जाकरउसकी आवाज आई।
उसने काला चश्मा उतारते हुए कहा कि "बैठ जाओ,"
मैं हैरान हो गया। मुझे अब भी यकीन नही हो रहा था कि इस लड़की को मुझसे प्यार है, मुझे कुछ अजीब लगा कार में बैठना, मैने उसको कहा कि "जो भी बात करनी है गाड़ी से उतरकर कीजिये और मुझे देर हो रही है,जल्दी कीजिये।"
उसने भी अनुरोध करते हुए कहा- "दो मिनट बैठ जाओ प्लीज़,"
उसके चेहरे की मासूमियत और आवाज में कोई छल नही लगा, और मैं बैठ गया।उसने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा कि मेरा नाम दिव्या है।मैने उसको कहा नाम तो ठीक है पर मुझे परेशान करने की वजह बताईये।
वो बोली" चलिए कही पर कॉफी पीते पीते बात करते है।मैं मना करते हुए बोला, मेरे पास वक़्त बहुत कम है आधे घंटे में मैने ड्यूटी जाना है। सिर्फ ये बताओ क्यो बुलाया मुझे यहाँ," वो बोली- "मुझे आप बहुत अच्छे लगते हो, और मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूं, और मैं चाहती थी आप भी मुझे देंखे और पसन्द करे,"
"पसन्द करे....ये क्या मतलब हुआ कि पसन्द करे। मैं ना तुम्हे जानता हूँ, न मुझे तुम, ऐसे में पसंद नापसंद, दोस्ती, प्यार कुछ नही हो सकता" मैने कहा
उसने जवाब दिया कि- "मैं क्या कर सकती हूं, जितनी बार आपसे मिली उतनी बार एक अलग एहसास एक आकर्षण महसूस हुआ मुझे, मैं नही जानती ये क्या है। मगर अभी आप साथ मे हो बहुत अच्छा लग रहा है मुझे "
इतना कहकर वो कार स्टार्ट करती है।मैं बोला कहाँ जा रहे हो वो बोली आपको आपके ऑफिस तक छोड़ देती हूँ।मैंने भी मना नही किया क्योंकि ऑटो से बेटर था कार में, ऊपर से उसकी वजह से मुझे देर हो रही थी,
वो कार चलाते हुए बोली- "मैं बस इतना कहना चाहती थी, और आपसे मिलना चाहती थी, बाकी आपकी मर्जी, आपको पूरा हक है सोचने का ,"
मैं बोला- "देखो मैं एक गरीब लड़का हूँ, और तुम बहुत अमीर हो मुझे भी अच्छा लग रहा है कार में घूमना वो भी उसके साथ जो मुझसे प्रेम का दावा कर रही है,मगर न मेरे पास कार है ना कभी कार चलाई जिंदगी में, ऑटो में धक्के खाता हूं। किराए के कमरे में रहता हूँआपकी मेरी जोड़ी बिल्कुल नही मेल खाएगी।अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दो की हम आगे जाकर कोई रिश्ता बनाये।"
वो बोली- "अमीर गरीब का दोहा मत सुनाओ मुझे, मैं अपने मां पापा की इकलौती जिद्दी बेटी हूँ। और चाहती तो अपनी अमीरी पर घमंड करती, क्योकि चंडीगढ़ शहर में हमारा पुरखो का बंगला है। जिसकी किम्मत 2 करोड़ है, वो भी मेरे दादा का जोड़ा हुआ , पापा उनके बिजनेस को आगे बढ़ाते है।
सबकी पर्शनल अपनी गाड़ी है, पापा के पास 2 है , दादाजी तो पुरानी चलाते है अपनी, मम्मी की भी है। और मैने भी इसी साल खरीदा,"
मुझे उसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगा, मैं बोला- इससे कोई मतलब नही की तुम्हारे पास क्या है, क्या नही है। तुम मुझे लालच दे रहे हो, मुझे खरीद रहे हो।
तभी उसने अचानक ब्रेक लगाया , मैने पाया मेरा आफिस आ गया था,
अभी खुलने में 5 मिनट बाकी थे।मैंने उसे समझाया कि वो खुद के फैसले की जांच करे, मगर वो नही सुनती कुछ, बस मेरे जवाब का इंतजार कर रही थी,
बोलने को मैं हां बोल सकता था, मगर मैने उसे बोला की आप आज मुझपर फिदा हो कल कोई और बेहतर मिल जाएगा उसपर हो जाओगे, और मैं ये नही चाहता, आप अपने स्टेंडर्ड का कोई ढूंढ लो। मुझे नही मंजूर ये प्यार..
मैं गाड़ी से उतरा और ऑफिस के सामने जा खड़ा हुआ जो कि खुलने की तैयारी मैं था। मैंने गाड़ी की तरफ मुड़कर नही देखा, क्योकि मुझे खुद पर भरोसा नही था , और मैं भी उसको चाहने न लगूँ ये डर था मन में। उसने इंतजार किया कि मैं पीछे मुड़ कर देखु,
जब मैंने नही देखा तो उसने गाड़ी स्टार्ट की और गुस्से में गाड़ी बहुत स्पीड में भगाई, मैने मुड़कर देखा वो पागलो की तरह हाइवे क्रॉस करती हुई चली जा रही थी, उसकी ड्राइविंग देखकर एक पल मुझे डॉक्टर ड्राइविंग की मोबाइल गेम की याद आयी, फिर मुझे उसकी चिंता होने लगी, मुझे उसकी चिंता थी कि कही उसे कुछ हो न जाये।
मैने उसे कॉल लगाया और उसने नही उठाया, मैने दोबारा कॉल किया तो उसने कॉल पिक कर ली और बोली- अब क्यो किया फोन,
उसकी आवाज में सिसकिया थी जैसे वो रुआँसी होगी।
मैंने उसे कहा - गाड़ी इतना तेज क्यो चलाकर ले गए। कुछ भी हो सकता था,
उसने कहा- मेरी इतनी फिक्र
मैंने जवाब दिया- नही आपके मम्मी पापा की, आपने तो कहा था इकलौती हो।
धीरे धीरे उसका जादू चलने लगा
फिर इस तरह मेरे ख्यालो में वो आने लगी, उससे बातचीत शुरू हो गयी, मगर मैने उसे कहा था कि मैं आपका सिर्फ दोस्त हूँ। आपको पूरा हक है कि अपने लिए प्यार ढूंढो, और अपने योग्य ढूंढो, जिसको आपके मम्मी पापा रिजेक्ट न कर सके।
बातो बातो में हमारा मिलना जुलना बढ़ गया,
धीरे धीरे मुझे उसकी आदत सी होने लगी थी,
मैने घर वालो को इशारा दे दिया था कि मैं शादी करने को तैयार हूं बस लड़की मेरे पसंद की होनी चाहिए।
अब मैने उसे बोला कि क्या तुम मुझसे शादी करोगी, मैने कोई परपोज़ नही किया,न ही मुझे परपोज़ करना आता था,
बल्कि उसी ने मुझे बताया था कि वो मेरे साथ पूरा जिंदगी बिताना चाहती है, मुझसे शादी करना चाहती है।
मैंने उसे बोला अपने पापा से बात करो और मेरी भी बात कराओ क्योंकि उनकी इजाजत के बिना कुछ भी नहीं कर सकते थे।
उसने बोला कि उसने बात कर रखी है जल्द ही मैं उनसे मिलाऊंगी,
मगर जल्द जल्द करके तीन महीने टाल दिए, और कभी बात नही कराई।
हमे दोस्ती और फिर प्यार के बंधन में बंधे छः महीने हो गए। लेकिन बात आगे नही बढ़ि,
एक दिन मुझे उसने मिलने बुलाया और बोली कि आपके लिये एक सरप्राइज है जल्दी आ जाना।
मैं उस दिन खुश था और नर्वश भी मुझे पूरा भरोसा था कि दिव्या आज अपने पापा से मिलाने वाली है।मैने नए कपड़े पहने, और खुद को इस तरह सेट किया कि उसके पापा को कोई कमी न दिखे,
मैं पते पर पहुंचा,
वहाँ वो नही आई थी।
मैने इंतजार किया, थोड़ी देर में उसकी कार वहाँ आयी
कार में वो थी और उसके साथ एक आदमी था पहले मैंने सोचा कि वह उसके पापा होंगे क्योंकि गाड़ी के अंदर अच्छे से दिख नहीं रहा था फिर जब दिव्या बाहर निकली और कार के दूसरे दरवाजे से एक और आदमी बाहर उतरा जो उम्र में दिव्या से थोड़ा सा बड़ा था मुझे लगा की दिव्या के पापा इतने जवान यह कैसे हो सकता है और दिव्या ने कहा था वह इकलौती लड़की है तो यह तो उसका भाई जैसा भी नहीं हो सकता फिर मैंने सोचना छोड़ा मैंने कहा खुद आकर बताएगी वह मेरे पास आई और उसके साथ आया लड़का भी उसके पीछे पीछे आया । वह मेरे पास आई और बोली- कैसे हो और कैसा लगा सरप्राइज।
मैंने कहा- सरप्राइज़ तो अच्छा है पर बताओ तो सही है क्या,
वह बोली- यह मेरे होने वाले पति है मेरी शादी मेरे पापा ने इनसे फिक्स कर रखी है।
मैं हँसने लगा और बोला- आज पहली बार इतना अच्छा मजाक किया।
वो बोली- देखो मैं गरीबो के ज्यादा मुंह नही लगती, मगर ये गरीबो का बड़ा प्रसंसक है, बोलता है गरीबो में शहनशीलता होती है, कुछ कर गुजरने की चाह होती है, गरीब अपना आत्मसम्मान के लिए जीता है, वो किसी के आगे गिड़गिड़ाते नही है। ना कभी हार मानते है,
मैने भी शर्त लगा ली और बोली - गरीब एक नम्बर का बेवकूफ होते है, अनजान पर भरोसा करते है और अपनी इज्जत खुद गिराते है, और गिड़गिड़ाते भी है, उनकी अपनी कोई इज्जत नही होती।
सही कहा न मैंने.????
मैं अवाक सा...कभी उसकी तरफ देख रहा था कभी लड़के की तरफ, लड़का शर्मिंदा था शायद मेरी तकलीफ समझ सकता था।
मैंने उस लड़की को गलत साबित करना था, क्योकि मेरा मजाक बन चुका था, वो अमीर लड़की सिर्फ शर्त जीतने के लिए मेरी भावनाओं से खेलती रही मुझे पागल बनाती रही।
मगर मुझे उसकी आदत सी बन गयी थी उसने मुझे पूरा मौका दिया कि मुझे उससे सच्चा प्यार हो जाये, और वो चाहती थी मैं उसके सामने झुक जाऊ,
वो मुझे चुप देखकर फिर नीचा दिखाते हुए बोली- तेरे जैसो से तो मैं अपने जूते भी पोलिस नही कराती
लड़का- दिव्या बस भी करो, और कितना मजाक उड़ाओगी इस बेचारे का...
मैंने उसकी बात सुनी और उसे जोर से डांटते हुए बोला- बेचारा नही हूँ मैं.... और उड़ाने दो मजाक.. मजाक मेरा नही अपना उड़ा रही है ये....एक अमीर और कर भी क्या सकता है शिवाय गरीब के मजाक उड़ाने के...
मगर सोचो कोई लड़की किसी से छः महीने प्यार का ड्रामा कैसे कर सकती है।
और हां....अगर तुम्हें लगता है कि मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ या , तुम्हे क्या लगता है तुम मुझे अचानक धोका देकर छोड़ दोगी तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा... गलत फहमी है आपकी....
फिर मैंने थोड़ी झूठी मुस्कराहट के साथ एक डायलॉग मारा-
पता है एक अमीर के लूट जाने और बर्बाद हो जाने और गरीब के लूट जाने और बर्बाद होने में क्या फर्क है।
यही फर्क है कि जो एक दो फुट की दीवार से गिरने वाले बच्चे और चौथी मंजिल से नीचे गिरने वाले बच्चे की चोट में है।
समझ सको तो समझ लो।
और हां एक बात और कान खोल के सुन लो, किसी गरीब को बेवकूफ समझने की गलती कभी मत करना,
क्योकि मैं बर्बाद हो गया हूँ ये आपकी गलत फ़हमी है। बर्बाद कौन हुआ है ये जल्दी पता चल जाएगा।
इतना कहकर मैं वहां से आ गया।
और वो भी अपने मँगेतर के साथ चली गयी । घर जाकर वो मुझे फोन पर फोन कर रही थी मैने नही उठाया,
वो मैसेज में गिड़गिड़ाकर बोल रही कि..
प्लीज़ फोन उठाओ...प्लीज़...
क्यो किया तुमने मेरे साथ ऐसा ...
प्लीज़..बोलो...प्लीज़ एक बार फोन उठाओ...
वो ऐसा क्यों बोल रही थी...उसका कारण ये है कि मैंने उसकी अपनी मुलाकातों को यादगार बनाने के लिए कई बार फ़ोटो शूट की थी , सेल्फ़िया ली थी, उसकी वीडियो भी छिपके से शूट किया था जब वो मुझे प्यार का इजहार करती और शादी के सपने दिखाती थी।
ये मेरा शौक कहो, या आदत बचपन की वीडियो बनाने का,, या फिर मेरी अच्छी किस्मत,
मैने कई वीडियो इसलिए भी बनाई थी कि मैं इसको शादी के बाद दिखाऊंगा और दोनों के खुशी के लम्हो को याद करेंगे,
मगर किस्मत में तो बस धोका लिखा था, वो मेरा मजाक उड़ा सकती थी तो क्या मुझे बिल्कुल हक नही।
मैने एक वीडियो और कुछ तस्वीर उसे भेजे और लिखा।
थैंकयु सो मच...
मेरी कहानी में ट्विस्ट लाने के लिए, मैं अपनी जिंदगी से बोर हो रहा था, आपने कुछ यादगार लम्हे दिए जिनकी कीमत मैं कैसे चुकाऊंगा, ज्यदा तो मैं नही कर पाऊंगा, बस कुछ आपकी यादें है जो मैंने यूट्यूब और फेसबूक में पोस्ट की है, यादगार बनाने के लिए,
और हां लाइक , कॉमेंट ,शेयर जरूर करना।
और यूट्यूब में मेरे चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल मत भूलना, और बैल आइकॉन दबा देना ताकि अन्य वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाए।
मैंने ये मैसेज उसके व्हाट्सएप्प पर किया और उसके बाद उसके बहुत मैसेज और कॉल आने लगे,
वो सर्च कर कर के थक गई यूट्यूब में और फेसबुक में उसे कुछ मिला नही,
उसके बहुत मेसेज और कॉल इग्नोर करने पर वो मेरे आफिस पहुंची।
जहाँ मैं कस्टमर डीलिंग में बिजी था। वो दूर खड़ी मुझे देख रही थी , की कब ये फ्री होगा और मैं इसके पास जाऊंगी।
थोड़ी देर में मैं फ्री हुआ, वो मेरे पास आकर बोली, क्यो किया तुमने ऐसा,
मैं बोला- कौन हो तुम(ये उसे चिढ़ाने का एक तरीका था, और मैं उसे सचमुच भूल जाना चाहता था)
वो बोली- मजाक छोड़ो. मैने जो किया उसके लिए सॉरी... आप भी वो वीडियो डिलीट कर दो.. फ़ेसबुक से भी यूट्यूब से भी,
"पागल हो क्या, या मुझे पागल समझती हो" मैं हँसते हुए बोला
"कितने पैसे चाहिए मैं देने को तैयार हूँ । प्लीज़ वो वीडियो डिलीट कर दो" दिव्या बोली
"मुझे उसके चेहरे में वो डर बहुत प्यारा लग रहा था"मैं बोला मैं सिर्फ दो शर्त पर डिलीट करूँगा वो वीडियो बोली मंजूर है"
मैं बोला- मुझसे शादी कर लो।
" ये क्या बकवास है " वो बोली
फिर मैं हँसा और बोला "आपने मंजूर है पहले क्यो बोला सुन तो लो शर्त
शर्त नम्बर एक- गरीब का मजाक मत उड़ाना कभी, दिल से मत खेलना उनके, क्योकि वो दिल के बहुत अमीर होते है, ये झूठी मोहब्बत अपनी अपना गुरुर संभाल कर रखना।
शर्त नम्बर दो- गुस्से में गाड़ी तेज मत चलाना, अभी भी बहुत तेज चलाकर आयी हो, तुम्हे कुछ हो जाएगा तो
वो बोली- "ठीक है अब वीडियो डिलीट करो।"
मैने विनम्रता से कहा- "वीडियो मैने अपलोड की ही नही है, बस आपको व्हाट्सएप्प पर भेजा है,
मुझे अच्छा नही लगता किसी की इज्जत से खेलना, न ही किसी के दिल से खेलने की आदत है।
आप निसंकोच हो जाइए,"।
वो कुछ और कहती कि मैंने उसे अपना मोबाइल दिया और बोला जहा जहा आपको आपके वीडियो फ़ोटो नजर आते है डिलीट कर दीजिए। वो बोली आपपर पूरा भरोसा है आप खुद कर लेना।मैंने उसे बस इतना कहा-
मेरा भरोसा तोड़कर...
भरोसा किया मुझपर....
हैरान हूँ आज
हैरान हूं तुझपर.
ये इश्क़ तुफानो में सिमट गया
और आंधी चल रही धीरे -धीरे
वो बातो की खुश्बू अब
लौट रही गुलदस्ते में धीरे -धीरे
आज एक बार फिर खुद से प्यार हुआ मुझे..।
भगवान ने मेरे अलावा मेरे काबिल किसी को बनाया ही नही
तू मेरी आदत थी अब नही है
तू मेरी आदत थी अब नही है..
हम दोनों का साथ चंद लम्हो का लिखा था, उससे ज्यादा लिखाया ही नही...
अब मैं धीरे से वहाँ से खिसक गया वरना आज फिर से इजहार-ए-मोह्हबत हो जाती उस बेवफा से...जिसने कुछ घंटों पहले ईमान खोया था।
अब जब कोई मुझसे पूछता हूं कि तूने उसको सबक क्यो नही सिखाया जिसने तुझे धोका दिया
तो मैं उसे बोलता हूँ
"वो मेरा प्यार था, मेरी मोहबत थी , अपने प्यार को परेशानी में डाल दूं तो कैसा प्यार…
और उसने मुझे कोई धोका नही दिया उसने तो सबक सिखाया मुझे।धोका नही सबक मिला है मुझे।